उज्जैन /पिछले कई महीनों से विश्व कोरोना नामक एक भयंकर बीमारी जूझ रहा है। इस बीमारी के प्रकोप के कारण कई देशो के हजारों व्यक्तियों की मौत हो चुकी है । चीन के साथ ही इटली, ईरान, अमेरिका ओर इसके अलावा कई सारे देशो में भयावह रूप ले लिया है। चीन, इटली, अमेरिका सहित जिन देशों में ये रोग फैला है वहा पर चिकित्सा की सुविधा भारत से कही गुना बेहतर हैं।
अन्य देशो से होते हुए इस भयानक बीमारी ने भारत की ओर भी रुख कर लिया हैं अभी तक भारत मे 320 के लगभग कोरोना के मरीज हो चुके है और 7 लोगो की मौत भी हो चुकी हैं।
इस वायरस का प्रकोप भारत मे ओर अधिक न हो इसके लिए भारत सरकार अपनी तरफ से पुरजोर प्रयास कर रही है।।।
चुकी भारत एक सघन देश है जिसकी जनसंख्या 135 करोड़ से भी अधिक है जिससे इस रोग के भारत मे अधिक तेजी से फैलने के आसार कही ज्यादा हैं।
भारत के प्रधानमंत्री ने टीवी चेनलो के माध्यम से पूरे देश की जनता से अपील की थी कि सभी देशवासी दिनांक 22 मार्च को एक दिन का जनता कर्फ्यू का पालन करे और देश मे जो लोग इमरजेंसी सेवाएं दे रहे है उन लोगो के सम्मान में सभी देशवासी तालिया, थाली, शंख, घण्टा आदि जो कुछ भी मिल जाये उसे बजाकर उनका अभिनंदन करे।।।
साधारण सी बात है यदि किसी देश मे आई विपत्ति में जो लोग समाज की सहायता करते है वो लोग तो सम्मान के ही भागीदारी होते है।।। परंतु हमारे प्रधानमंत्री के द्वारा देश मे सेवा देने वाले को सम्मान देने की बात हमारे देश के को समझ नही आई।।। उन लोगो के द्वारा जबरन ही इसे राजनैतिक रंग दिया जाने लगा।।। तरह तरह की पोस्ट बनाकर फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स एप ओर आदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर डाली जा रही है ।। यहां तक कि कुछ मूर्खो के द्वारा टीवी चैनल पर भी इसे लेकर बहस छिड़ गई।।। मेरा उन मूर्खो से ये सवाल है कि क्या देश और समाज की सेवा करने वाले लोगो के सम्मान में तालिया बजाना गलत है? क्या देश के प्रधानमंत्री ने किसी प्रकार की अपनी या अपनी पार्टी को लेकर इसमे कोई बात कही है?
अगर नही तो फिर ये बेफिजूल की बकवास क्यों?
कोरोना वाइरस को लेकर देश के प्रधानमंत्री ने जनता से जो अपील करी वो शासन की तरफ से एक सकारात्मक पहल है।।। मेरा इन बेफिजूल की बकवास करने वाले मूर्खो से कहना है कि अगर कोरोना वाइरस को रोकने के लिए उनकी तरफ से भी राष्ट्रहित में कोई अपील होगी तो कोई भी समझदार उसका विरोध नही करेगा।।।।
ओछी मानसिकता वालो से सावधान .... गोपाल सोनी