प्रकृति कभी छमा नही करती,,,,, अनुराधा त्रिवेदी 

पूरा विश्व आज कॅरोना के रूप में महामारी से जूझ रहा है। दुनिया हैरान परेशान बेहाल है।लोग मर रहे है दुनिया की शक्तिशाली देश भी अपार दौलत होते हुए भी निरीह बेबस नज़रा रहे एक छोटे से सूक्ष्मजीवी कीटाणु से।।।।।
कभी भारतीय आध्यत्मिकता की ओर नज़र डालेंगे तो आप महसूस करेंगे कि आप ने दुनिया की भौतिकतावादी संस्कृति के पीछे अंधी दौड़ में शामिल होकर खुद को तबाह कर लिया
महान भारतीय आध्यत्मिकता धर्म नही मैं धर्मो की बात नही कर रही आध्यत्मिकता जिसने हमको प्रकृति के साथ कदमताल करना सिखाया हमने प्रकृति के सामीप्य को भुला दिया नतीजे सामने है
आज दुनिया ने विलासिता विवियन परस्पर प्रतिस्पर्धा में वायुमंडल जंगल धरती नदिया पहाड़ ओर अंतरिक्ष सबको प्रदूषित कर के रख दिया।भारतीय जीवन शैली ने वायु मंडल को शुद्ध रखने यज्ञ हवन होम की व्यवस्था को प्रतिपादित किया नदियों को जीवनदायिनी ओर मां का दर्जा दिया पेड़पौधों को वर्षा का वाहक मानकर उन्हें पूजनीय बनाया अंतरिक्ष को देवताओं की निवास स्थली बताकर उनको पूजनीय बनाया पहाड़ो को आध्यत्मिक शांति की खोज का केंद्र बनाया और धरती को मां का दर्जा दिया 
भारतीय आध्यत्मिकता विश्व के एक कुटुंब होने का सिद्धांत प्रतिपादित करती विश्व बंधुत्व की बात करती है प्राणियों में सद्भावना की बात करती है समुचे विश्व के कल्याण की बात करती है।पर हम क्या करते है नदियों को प्रदूषित करते है नदियों के निर्बाध प्रवाह को रोकने के लिए बड़े बड़े बांध बनाते है नदियों की जीवन शक्ति समाप्त कर उस के प्रवाह पर बड़े बड़े विधुत संयंत्र लगाते हैं ।कलकारखानों की चिमनी वाहनों की रेलमपेल के धुएं से सारे वायुमंडल को जहरीला बनाते है पहाड़ो को जीतने की जंग दुनिया भर में है पहाड़ो पे यही लोग लाखो टन कूड़ा फैला कर आते है हमने तो अंतरिक्ष को भी नही बख्शा वहां भी सेटेलाइट ओर अंतरिक्ष यात्राओं का कचरा फैला कर आ गए हम अपनी बात करे क्या हमारा शरीर हमारा मन प्रदूषण से बच पाया है कौन संशय जो दुनिया के लोग उपयोव नही कर रहै शराब सिगरेट छोटी बात है महंगे नशे चरस अफीम हेरोइन क्या है ये सब हमारे युवा जवान होने के पहले ही इन नशे की लत के कारण बूढ़े हो रहे मर रहे हमने बहुत तरक्की की धरती से आकाश तके सब जीत लिया नही जीत पत्य तो खुद को अपने आप को कारण हम पर हमारा नियंत्रण ही नही है सरकार कहती है घर मे रहो हम बाहर घूम रहे हमारे पे नियंत्रण पोलिस कर रही पेरेंट्स कहते है अपनी संस्कृति अपनाओ हम कहते बैकवर्ड है पुराने ख्यालो के है हम दुनिया के हिसाब से चलेंगे मतलब हमारा रिमोट दुनिया के पास है हमारे पास नही हज़रत अली कहते थे   बाजारों की बैठक से दूर रहो ये फसाद की जड़ है पर हम घर मे कैसे रह सकते है।महान भारतीय ऋषि कहते थे बाहर से भीतर की यात्रा करो वो हमको बकवास लगता है।हम क्या है हम खुद नही जानते पर तुफैल में है कि हम सर्वज्ञ है आज सारी विशेषज्ञता सर्वज्ञता विद्वता धरि पड़ी है कोई ज्ञान काम नही आ रहा
वापिस लौटिए अपने घर।।अपनी संस्कृति अपनी प्रकृति अपनी महान आध्यत्मिकता की ओर ।अपने ऊपर अपने नियंत्रण को बनाइये अंदर लौटिए जो बाहर नही वही भीतर है उसी जीवनशैली की ओर लौटिए वरना कॅरोना के बाद हंता भी है ।।कभी तो फसेंगे