तुलादान के सहयोग से करवाया भोजन*
संस्कार ही परिवार की पहली पाठशाला है।जहाँ अनुशासन, त्याग और प्रेम का पाठ पढ़ाया जाता है।संस्कार तो परिवार से ही मिलता है। और परिवार से बेहतर कोई मार्गदर्शक नहीं होता।
आज बदलता सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य हमारी युवा पीढ़ी को अत्यधिक प्रभावित कर रहा है। युवाओं की मानसिकता बदल रही है।परंतु आज भी हमारी संस्कृति को बचाये रखे वाले संस्कार आज भी हमारे परिवारों में है जिसका एक अनुपम जीवंत उदहारण है पारीक परिवार
हमारे पूर्वज हमारी धरोहर है उनका स्मरण हमे हमारी सांस्कृतिक विरासत को संभालने की प्रेरणा देता है।उक्त उदबोधन संस्था तुलादान के अध्यक्ष आनंद सक्सेना ने नगर के प्रतिष्ठित विद्वान खेड़ापति हनुमान मंदिर के मुख्य गादीपति स्व.पं जगदीश प्रसाद जी पारीक एवम स्व श्रीमती सरजू देवी पारीक की पुण्य स्मृति पर देते हुए कहा।
पारीक परिवार द्वारा नगर की प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था तुलादान के सहयोग से जरूरत मंद लोगो को भोजन करवाया गया।इस अवसर पर परिवार की तीन पीढ़ियों ने संस्था के सदस्यों का भोजन पैकेट तैयार कर वितरण करने में सहयोग किया।सक्सेना ने कहा कि संस्था में पहली बार एक साथ तीन पीढ़ी के सदस्यों ने आकर सहयोग किया और अन्य लोगो को ऐसे सद कार्यो के लिए प्रेरित किया।पारीक परिवार के बृजकिशोर एवम दिनेश पारीक, पुत्र पवन एवम अंतरिक्ष पारीक,पवन पारीक के पुत्र एवम पुत्री विप्र एवम नीलिमा पारीक ने संस्था के सदस्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया।संस्था के अध्यक्ष आनंद सक्सेना के नेतृत्व सभी सदस्यों द्वारा सर्वप्रथम दोनों विभूतियों के समक्ष दीप प्रज्वलित कर श्रद्धांजलि दी गई।इस अवसर पर संस्था के सभी सदस्य उपस्थित थे।
*तुलादान के सहयोग से करवाया भोजन*