कोविड-19 महामारी के बीच उत्तराखंड सरकार ने हिन्दू आस्था का केंद्र माने जाने वाली कांवड़ यात्रा को रोक दिया गया है. सरकार के इस निर्णय से हरिद्वार की आर्थिक स्थिति पर बहुद ज्यादा असर पड़ा है. अब साल 2021 की शुरुआत में होने वाले महाकुंभ पर भी संकट के काले बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. हालांकि, महाकुंभ की तैयारी भी तेज रफ्तार से चल रही है. सरकार को उम्मीद है कि महाकुंभ तक कोरोना महामारी का संकट टल जाएगा और महाकुंभ अपने भव्य रूप में देश और दुनिया के सामने नई मिसाल बनकर उभरेगा.
चारधाम यात्रा पर पहले से पाबंदी
कोविड-19 के आते ही देश में लॉकडाउन कर दिया गया. धीरे-धीरे इसका असर आम जन-जीवन के साथ-साथ आस्था और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने लगा. सबसे पहले पर्यटन और उसके बाद चारधाम यात्रा पर मजबूरी में ब्रेक लगाना पड़ा था.
इसके बाद हिन्दू आस्था का केंद्र माने जाने वाली कांवड़ यात्रा को उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया. इस वजह से हरिद्वार (व्यापारी वर्ग) जो कि सिर्फ और सिर्फ गंगा स्नान पर्व व इससे संबंधित यात्राओं से ही अपना जीवन यापन करता है, उसके लिए एक बहुत बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. खुद मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेंद्र सिंह रावत ये कह चुके हैं कि महाकुंभ के शुरू होने पर जो भी स्थिति होगी, उसकी के अनुरूप ही निर्णय सरकार द्वारा लिया जाएगा. इससे ये साफ हो जाता है कि समस्या अभी टली नहीं है.
आजतक ने जब हरिद्वार जाकर जमीनी हकीकत को करीब से देखा तो पाया कि व्यापारी वर्ग वाकई परेशान और हैरान हैं. मगर दूसरी तरफ जब महाकुंभ की कमान संभाल रहे अधिकारी दीपक रावत से बात की तो उन्होंने बताया कि कोविड की वजह से सभी को परेशानी से गुजरना पड़ा है मगर जिंदगी बेहद जरूरी है.
कांवड़ यात्रा के प्रतिबंधित होने पर भी राज्य सरकार निराश नहीं है. 2021 में होने वाला महाकुंभ अपनी पूर्ण गति से लोगों के मन की निराशा को खत्म करेगा और यही वजह है कि महाकुंभ के लिए सभी होने वाले कार्य अपनी पूरी रफ्तार से चल रहे हैं.
मेला अधिकारी की मानें तो अब तक 404 करोड़ के कार्य गतिमान हैं और 1000 करोड़ के होने वाले कार्य के अभी टेंडर होने बाकी हैं, जो जल्द ही कर दिए जाएंगे. दीपक रावत ने हर की पैड़ी और आस-पास के हो रहे कार्यों के बारे में विस्तार से आजतक को बताया. साथ ही महाकुंभ के लिए तैयार किए गए सुरक्षा उपाय का मास्टर प्लान को भी साझा किया.
लॉकडाउन में व्यापारियों का बुरा हाल
कोरोना के कारण आया आर्थिक संकट हरिद्वार के व्यापारी वर्ग पर पड़ा है, जिसकी भरपाई करना अभी संभव नहीं है. मगर साथ ही उनकी आस्था गंगा मैया में जरूर है. उनका मानना है की जान है तो जहान है. गंगा सभा को पूर्ण उम्मीद है कि महाकुंभ के शुरू होने तक कोविड 19 के संकट से देश दुनिया उबर जाएगी और जिंदगी फिर से अपनी तेज रफ्तार से पटरी पर दौड़ने लगेगी.
गंगा सभा के महासचिव तन्मय वशिष्ठ ने आजतक से बात करते हुए बताया कि सरकार के सभी फैसले जनहित में हैं. मगर इससे बेहद नुकसान भी हुआ है. कांवड़ यात्रा से लोगों और व्यापारी वर्ग को बहुत उम्मीदें थीं. वहीं दूसरी ओर व्यापारी वर्ग का पक्ष रख रहे कैलाश केसवानी जो कि व्यापार मंडल के राष्ट्रीय सचिव भी हैं, उनका कहना है कि कांवड़ से बहुत सी आर्थिक मुसीबतों को दूर किया जा सकता था. मगर यात्रा के बंद होने से व्यापारी भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएगा और इस पर भी आने वाले महाकुंभ में क्या हालात पैदा होंगे ये अभी से चिंता में डाल रहे हैं.
कांवड़ यात्रा और महाकुंभ पर संकट के बीच दुकानदारों और व्यापार मंडल हरिद्वार के बीच जबरदस्त विरोध भी देखने को मिल रहा है. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सभी का मानना है कि इस तरह से कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित करने से भुखमरी जैसे हालात पैदा हो जाएंगे. व्यापारी वर्ग के तनाव को देखते हुए हरिद्वार पुलिस ने भी एक एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. हरिद्वार एसएसपी अबुदई सेंथिल ने तमाम फोर्स को मौके पर कड़ी नजर बनाए रखने के निर्देश दिए हैं.
सरकार के साथ खड़ा हुआ संत समाज
इन सबके बीच हरिद्वार के तमाम संत सरकार के साथ कोविड को लेकर खड़े नजर आ रहे हैं. निर्वाणी अखाड़ा के महासचिव और बाबा रामदेव का भी यही मानना है कि देश हित और जनहित में जो भी सरकार निर्णय लेती है हम उसके साथ खड़े हैं. निर्वाणी अखाड़ा के महासचिव महंत रविन्द्र पुरी जी महाराज का कहना है कि अभी थोड़ा वक्त बाकी है. तब तक अगर कोविड के संकट से उबर पाए तो ठीक नहीं तो सरकार से अनुरोध करेंगे कि सांकेतिक तौर पर ही महाकुंभ का आयोजन किया जाए. शाही स्नान संत और महंत के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में अगर मुसीबत नहीं टलेगी तो सांकेतिक तौर पर भी इसका आयोजन कर लिया जाएगा.