आनंद मार्गियों का संभागीय सेमीनार संपन्न
 

  आनंद मार्गियो ने प्रथम संभागीय सेमिनार जो 10 से 12 जुलाई तक सपन्न  हुआ। हेमेन्द्र निगम ने बताया कि देवास सहित सोनकच्छ, इंदौर,उज्जैन, सीहोर, रेहटी, नागदाएवं उसके आसपास के इलाकों से लगभग 2000 से भी ज्यादा  साधकों ने घर पर ही लैपटॉप, मोबाइल एवं अन्य तरह के अत्याधुनिक साधनों के माध्यम से इसका लाभ लिया। साधकों के जीवन रक्षा को ध्यान में रखते हुए एवं साधकों के मानसाध्यात्मिक प्रगति को ध्यान में रखते हुए लाइव वेबकास्टिंग से तीन दिवसीय प्रथम संभागीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमीनार में 10 जुलाई  को माइक्रोवाइटम: (अणुजीत्व) अणुदेह और भूमादेह विषय की विशद व्याख्या करते हुए आचार्य विमलानंद अवधूत ने कहा कि सृष्टि-उत्पत्ति के रहस्य पर से , जैव जीवन की उत्पत्ति के रहस्य पर से वैज्ञानिक पर्दा उठाने के लिए जो नया विज्ञान है , वही माइक्रोवाइटम विज्ञान है । यह विश्व को बतलाता है कि कार्बन परमाणु से जैव जीवन नहीं आता है , क्योंकि कार्बन परमाणु असंख्य माइक्रोवाइटा कणों की रचना है ।  आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति (उर्फ श्री प्रभात रंजन सरकार) ने कहा है कि चिति शक्ति (ब्रह्म )से उत्सारित  रहस्यमय , सूक्ष्मतम जैविक प्राणी माइक्रो वाइटम (अणुजीवत) ही सृष्टि का मूल कारण है । माइक्रोवाइटा की प्रमुख स्थूल, सूक्ष्म और सूक्ष्मतर तीन श्रेणी है । स्थूल और सूक्ष्म माइक्रोवाइटा के धनात्मक और ऋणात्मक दोनों प्रभाव देखे जाते हैं । स्थूल माइक्रोवाइटम के ऋ णात्मक प्रभाव तथाकथित् विषाणु(वायरस) के रूप में हम लोग वैज्ञानिक स्तर पर देखते हैं । चेतनशील जीवों में जीवन की प्रतिष्ठा धनात्मक माइक्रोवाइटा करता है । मानव मन के उत्थान-पतन के पीछे धनात्मक और ऋ णात्मक सूक्ष्म माइक्रोवाइटा का हाथ होता हैं। भगवान बाबा श्रीश्रीआनंदमूर्ति जी के अनुसार, वायरस एक प्रकार का स्थूल नेगेटिव माइक्रोवाइटा है। यह माइक्रोवाइटम, ही बहुवचन में माइक्रोवाइटा नाम से जाना जाता हैं। इन  माइक्रोवाइटा की स्थिति सिर्फ एक्टोप्लाज्म और इलेक्ट्रॉन के बीच की है। वे न तो एक्टोप्लाज्म है और न ही इलेक्ट्रॉन। स्थूल स्तर के यह माइक्रोवाइटा जो एक पावरफुल माइक्रोस्कोप के दायरे में आ सकते हैं, लोग इन्हें वायरस नाम देते हैं। वे लोग कहते हैं, यह बीमारी वायरस से उत्पन्न हुई है।  लेकिन वायरस एक अस्पष्ट शब्द है। बेहतर शब्द माइक्रोवाइटम ही होगा।  कोरोना वायरस (स्थूल नेगेटिव माइक्रोवाइटम) ने पृथ्वी ग्रह पर एक बड़ी आपदा पैदा की है। कोरोना वाइरस एक नकारात्मक माइक्रोवाइटा है जिसका वर्तमान में कोई दवा नहीं है। डॉक्टर भी अच्छी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं। महामारी की इस अवस्था में भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने कणिका में माइक्रोवाइटा पुस्तक में कहा कि ये पॉजिटिव और नेगेटिव माइक्रोवाइटम विश्व के भारसाम्य को बनाए रखते हैं । विश्व में जब कभी नेगेटिव माइक्रोवाइटम की सामूहिक शक्ति पॉजिटिव माइक्रो वाइटम के सामूहिक शक्ति को हाशिये पर ले आती है तभी जगत में दिखाई देता है एक अवक्षय, एक अधोगति। जैसे ही पॉजिटिव माइक्रोवाइटा की सामूहिक शक्ति नेगेटिव माइक्रोवाइटम की सामूहिक शक्ति से अधिक होती है तभी आता है एक अध्यात्मिक विप्लव । आज्ञा चक्र जब निगेटिव माइक्रोवाइटम के द्वारा आक्रान्त  हो जाता है,  तभी जगत बहुत तेजी गति से अधोगति के पथ पर आगे बढ़ता है । आज की दुनिया में वही अधोगति की अवस्था चल रही है। सबको मिल जुलकर खूब तेजी के साथ और भी अधिक निष्ठा के साथ पोजिटिव माइक्रोवाइटम की सहायता से वास्तवोचित कुछ करना होगा। उक्त जानकारी आचार्य शांतव्रतानंद अवधूत(डी एस) डायोसिस सेक्रेटरी एवं जनरल भुक्ति प्रधान दीपसिंह तंवर ने दी।