कानपुर शूटआउट के मुख्य आरोपी विकास दुबे की तलाश में पुलिस जैसे-जैसे अपनी जांच आगे बढ़ा रही है, वैसे-वैसे पुलिस महकमे में विकास दुबे के मददगारों की तादाद बढ़ती जा रही है. करीब 200 पुलिसकर्मी विकास दुबे के मददगार के तौर पर शक के घेरे में हैं. ये पुलिसकर्मी चौबेपुर, बिल्हौर, ककवन थाने के हैं.
इस बीच शहीद क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा के शिकायती पत्र के मामले की जांच को कानपुर जोन के एडीजी से ले लिया गया है. अब पूरे मामले की जांच लखनऊ जोन की आईजी लक्ष्मी सिंह करेंगी. यह शिकायती पत्र शहीद सीओ ने तत्कालीन एसएसपी अनंत देव को चौबेपुर के एसओ विनय तिवारी के खिलाफ लि
बताया जा रहा है कि शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा ने खत चार महीने पहले 13 मार्च लिखा था. खत उन्होंने कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव को लिखा था. इस पत्र में देवेंद्र मिश्र ने लिखा है कि विकास दुबे पर करीब 150 संगीन मुकदमे दर्ज हैं. 13 मार्च को इसी विकास दुबे के खिलाफ चौबेपुर थाना में एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जो आईपीसी की धारा 386 के तहत दर्ज हुआ था. मामला एक्सटार्शन का था. इसमें दस साल तक की सजा का प्रावधान है और ये एक गैर जमानती अपराध है.
शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र ने पत्र में आगे लिखा है कि गैर जमानती अपराध होने के बावजूद जब चौबीस घंटे तक विकास दुबे के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई और उसे गिरफ्तार नहीं किया गया तो 14 मार्च को उन्होंने केस का अपडेट पूछा. इस पर उन्हें पता चला कि चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय कुमार तिवारी ने एफआईआर से 386 की धारा हटा कर
पुरानी रंजिश की मामूली
इस पत्र में शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र ने साफ-साफ लिखा था कि थानाध्यक्ष विनय तिवारी का विकास दुबे के पास आना-जाना और बातचीत बनी हुई है. इतना ही नहीं सीओ साहब ने चार महीने पहले ही आगाह कर दिया था कि अगर थानाध्यक्ष अपने काम करने के तरीके नहीं बदलते तो गंभीर घटना घट सकती है.
शिकायती पत्र सामने आने के बाद पूरे मामले की जांच कानपुर जोन के एडीजी को दी गई थी. इस मामले में एसएसपी दिनेश कुमार का कहना था कि रिकॉर्ड में यह शिकायती पत्र उपलब्ध नहीं है. अब पूरे मामले की जांच लखनऊ जोन की आईजी लक्ष्मी सिंह को सौंप दी गई है