नदी में स्नान पर प्रतिबंध का पिंड या अस्थी विसर्जन पर कोई प्रभाव ना हो

उज्जैन। सिद्धवट एवं राम घाट क्षेत्र में मृत्यु उपरांत के कर्म विधान एवं पारंपरिक पूजा विधान प्रशासन द्वारा 2 जून से प्रारंभ कर दिए गए हैं, जिन्हें कुछ शर्तों के ऊपर स्वीकृति दी गई है, जिसमें सबसे प्रमुख नदी में स्नान पर कोरोना महामारी को देखते हुए प्रतिबंध है। प्रशासन द्वारा पर्व के नाम पर या प्रमुख किसी तिथि पर होने वाले स्नान पर जो गाइडलाइन जारी की जा रही है, उसके कारण दोनों ही घाटों पर विवाद की स्थितियां उत्पन्न हो रही है। पूजा विधान के उपरांत यात्री अस्थियाँ या पिंड नदी में विसर्जन के लिए जा रहे हैं। वहीं प्रशासन द्वारा पर्व व त्यौहार पर नदी एवं घाट पर उपस्थिति पर प्रतिबंध के आदेश जारी किए जाते हैं। ऐसी विकट स्थिति में तीर्थ पुरोहित गण यात्री एवं प्रशासन दोनों के मध्य में असहज स्थिति महसूस कर रहे हैं, जिस कारण संपूर्ण तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश व्याप्त है।

श्री क्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष पंडित राजेश त्रिवेदी ने बताया कि इन्हीं समस्याओं को लेकर बुधवार को समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधीश आशीष सिंह के नाम एक ज्ञापन पत्र एसडीएम उज्जैन संजीव साहू को दिया। साथ ही उन्होंने घाट क्षेत्र को देखने वाले एसडीएम राकेश त्रिपाठी को भी एक ज्ञापन पत्र प्रेषित कर इस समस्या का तत्काल निराकरण करने की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल में सर्वश्री पं. सुधीर पंड्या, द्वारकेश व्यास, रवि भट्ट, सीरिल शास्त्री, सोनू पंड्या, प्रवीण पंड्या, रोनक डिब्बेवाला, नितिन पंड्या, यश पंड्या आदि उपस्थित थे।