डेढ़ महीने के अंदर 22 गायों की मौत..............

उज्जैन : श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति और नगर निगम की अपनी गोशालाएं हैं। इनकी शुरुआत जिस उद्देश्य को लेकर हुई थी उनमें दोनों खरे नहीं उतर पा रहे हैं। गायों को भरण पोषण तो दिया जा रहा है लेकिन उनकी सेहत के प्रति लापरवाही सामने आ रही है। दोनों ही स्थानों पर स्थाई पशु चिकित्सक पदस्थ नहीं हैं। इनमें में क्षमता से दोगुनी गायें रखी हैं, जिससे स्वस्थ और बीमार गायों को अलग रखने के इंतजाम नहीं किए जा सकते हैं। बजरंग दल ने निगम की कपिला गोशाला में गायों के मरने का दावा किया है। उधर महाकाल मंदिर की गोशाला में कुछ दिन पहले जहरीले जीव के काटने से एक गाय की मौत हो गई थी। हालांकि दोनों ही जगह के प्रभारी का दावा है कि गायों की देखभाल में कोई कमी नहीं की जा रही है।



चिंतामन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति संचालित महाकालेश्वर गोशाला में शेड व सीमेंट-कांक्रीट फर्श का निर्माण किया है। प्रभारी गोपाल कुशवाह के अनुसार गोशाला में 80 गायें रखी जा सकती हैं, जबकि वर्तमान में 138 पशुधन हैं।


यहां केड़ों के लिए अलग से शेड है लेकिन बीमार गायों के लिए नहीं। जब भी कोई गाय बीमार पड़ती है तो चिंतामण से पशु चिकित्सालय से चिकित्सक को बुलाना पड़ता है। यहां की हर गाय का टैग है यानी उनके कानों में एक कार्ड लगाया है। इससे गायों की गिनती से लेकर उनकी देखभाल का एक रजिस्टर रखने में आसानी होती है। मंदिर समिति अब मंदिर की नई गोशाला बनाएगा। इसमें गिर नस्ल की 150 गायें पालेंगे। इनका दूध ही भगवान को अर्पित करने के लिए श्रद्धालुओं को उपलब्ध करवाएंगे।